Ravi River: बैसाखी से पहले बंद होगा पाकिस्तान जाने वाला रावी नदी का पानी, लाहौर तक बहता है दरिया उड़ी हमले के बाद भारत सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है

Ravi River: बैसाखी से पहले बंद होगा पाकिस्तान जाने वाला रावी नदी का पानी, लाहौर तक बहता है दरिया उड़ी हमले के बाद भारत सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है

Ravi River: रावी नदी का पौराणिक इतिहास और भूगोल बहुत दिलचस्प है। इसे प्राचीन काल में इरावती के नाम से जाना जाता था। यह नदी हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले से निकलती है और फिर पंजाब, जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों से होते हुए पाकिस्तान में प्रवेश करती है।

सिंधु जल समझौते के तहत, रावी नदी का जल वितरण भारत और पाकिस्तान के बीच एक महत्वपूर्ण विषय रहा है। यह नदी पाकिस्तान के लाहौर शहर के पूर्वी तट से होकर गुजरती है, जहां इसका जल ग्रामीण जीवन, कृषि और उद्योग के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

भारत और पाकिस्तान के बीच जल विवादों को लेकर समय-समय पर तनाव उत्पन्न होता रहा है, और रावी नदी इस संदर्भ में एक प्रमुख नदी है। इसके जल स्रोतों के प्रबंधन और संरक्षण पर ध्यान देना दोनों देशों के लिए आवश्यक है, ताकि जल संकट और विवादों को कम किया जा सके।

भारत सरकार ने रावी नदी के जल प्रबंधन के लिए जो कदम उठाए हैं, वे विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। वर्ष 2025 की बैसाखी तक पाकिस्तान को व्यर्थ बहने वाला रावी दरिया का पानी पूरी तरह से नियंत्रित करने का निर्णय एक रणनीतिक और विकासात्मक दृष्टिकोण को दर्शाता है।

इसके तहत शाहपुर कंडी बांध परियोजना का कार्यान्वयन भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस परियोजना से जम्मू-कश्मीर के कठुआ और सांबा जिलों के खेतों को अगले खरीफ सीजन में सिंचाई के लिए पानी मिलना शुरू होगा। इससे क्षेत्र में कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी, जिससे स्थानीय किसानों को लाभ होगा और कृषि विकास को बढ़ावा मिलेगा।



शाहपुर कंडी बांध प्रबंधन ने आगामी सप्ताह से बांध के जलाशय को भरने की प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की है। पहले चरण में गेट्स की जांच की जाएगी। यदि सब कुछ सही रहा, तो बैसाखी तक जलाशय भरने का कार्य पूरा कर लिया जाएगा। इससे जम्मू-कश्मीर के कंडी क्षेत्र के बड़े इलाके को सिंचाई के पानी की सुविधा मिल जाएगी, और क्षेत्र अब पानी की कमी का सामना नहीं करेगा। यह बांध रावी नदी के जल को नियंत्रित करेगा, जिससे जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ यूबीडीसीएल और पंजाब की नहरों में भी पानी की आपूर्ति सुनिश्चित होगी।

शाहपुर कंडी बांध परियोजना में 791 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैली झील को भरने में तीन से चार महीने का समय लगने का अनुमान है। रंजीत सागर बांध का अधिकतम जलस्तर 527 मीटर निर्धारित किया गया है, जबकि शाहपुर कंडी बांध का अधिकतम जलस्तर 404.50 मीटर है। इससे पहले, रंजीत सागर झील से आने वाले रावी दरिया के पानी का कोई नियंत्रण नहीं था, और यह पानी सीधे पंजाब की नहरों और पाकिस्तान की ओर चला जाता था। अब, सर्दियों में रंजीत सागर बांध से बिजली उत्पादन के बाद निकलने वाले पानी को जलाशय में रोकने की व्यवस्था की जाएगी। यह कदम न केवल जल संसाधनों के बेहतर प्रबंधन को सुनिश्चित करेगा, बल्कि इससे क्षेत्र में जल संकट को भी कम करने में मदद मिलेगी। इससे जम्मू-कश्मीर और पंजाब के किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलेगा, जो कृषि उत्पादन को बढ़ावा देगा।

इस परियोजना से जुड़े महत्वपूर्ण विकासों में सायफन और जम्मू-कश्मीर की नहर को जोड़ने का कार्य पूरा करना शामिल है, जबकि नोरा पुल का निर्माण भी लगभग समाप्त हो चुका है। इससे यह परियोजना जम्मू-कश्मीर के दो बड़े जिलों के लिए एक वरदान साबित होने जा रही है।

इन जिलों में लगभग 32,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई रावी दरिया के पानी से नियमित रूप से हो सकेगी। पानी के संबंध में किसी भी प्रकार के मतभेदों को समाप्त करने के लिए इसे स्कॉडा सिस्टम के माध्यम से नियंत्रित किया गया है, जिससे जल वितरण की पारदर्शिता और प्रभावशीलता बढ़ेगी।

अतः, पंजाब को मिलने वाली 206 मेगावॉट बिजली के लिए पंजाब सरकार द्वारा तैयार किया जा रहा पावर हाउस दिसंबर 2025 तक पूरा होने की संभावना है। यह सभी पहलू मिलकर इस परियोजना को महत्वपूर्ण बनाते हैं, जो न केवल कृषि क्षेत्र को सशक्त करेगा बल्कि बिजली उत्पादन में भी योगदान देगा।

रावी नदी, जिसे पौराणिक काल में इरावती के नाम से जाना जाता है, हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले से शुरू होकर पाकिस्तान में दाखिल होती है और अंततः हिंद महासागर में समा जाती है। यह नदी पंजाब और जम्मू-कश्मीर की सीमाओं से बहती है, और सिंधु जल समझौते के तहत इसका जल विवाद का विषय रहा है। रावी नदी पाकिस्तान के लाहौर शहर के पूर्वी तट से होकर गुजरती है, और इसके जल का भारत में भी महत्वपूर्ण उपयोग होता है।

उड़ी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के संबंधों में तनाव बढ़ गया है, और आतंकवाद को पाकिस्तान द्वारा बढ़ावा देने के कारण भारत ने रावी नदी के जल का पूर्ण उपयोग करने का निर्णय लिया है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए शाहपुर कंडी परियोजना का निर्माण किया जा रहा है, जिससे रावी नदी का पानी भारत में पूरी तरह से इस्तेमाल किया जा सकेगा।

रावी नदी कुल 720 किलोमीटर की यात्रा करती है, जिसमें से 158 किलोमीटर भारतीय सीमा में और 562 किलोमीटर पाकिस्तानी सीमा में बहती है। इस नदी का जल प्रबंधन न केवल जल विवादों को हल करने में मदद करेगा, बल्कि यह कृषि और विकास के लिए भी अत्यंत आवश्यक है। रावी के जल का सही उपयोग भारत के लिए रणनीतिक और आर्थिक दोनों दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।

SHOPPING LING : — www.flipkart.com

ये भी पढ़ें…

Air Pollution: प्रदूषक प्रभावित कर रहे जैविक घड़ी,वायु प्रदूषण से दिल हो रहा बीमार, समय से पहले 45 लाख मौतें

Maharashtra Assembly Elections: 8 से 14 नवंबर तक 11 रैलियां करेंगे पीएम मोदी,महाराष्ट्र के चुनावी रण में ये नेता भी दिखाएंगे जौहर

Terrorist Attack: सेना ने उड़ाया ठिकाना; श्रीनगर में एक विदेशी आतंकी ढेर, बांदीपोरा-अनंतनाग में मुठभेड जारी

Chhath Puja 2024: साल में कितनी बार होता है छठ?सबसे खास क्यों लोक आस्था का महापर्व, जानिए, कब-क्या होगा

India-China: देपसांग और डेमचोक इलाकों से हटीं भारत और चीन की सेनाएं, LAC से दोनों देशों के सैनिकों वापसी पूरी


You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours