इस कार्यक्रम में खेल, राजनीति और धर्म से लेकर मनोरंजन जगत की हस्तियां शामिल हुई हैं। साइबर सिटी गुरुग्राम में हो रहे अमर उजाला के वैचारिक संवाद कार्यक्रम में देश की जानी मानी शख्सियतों, नीति नियंताओं, विचारकों और विशेषज्ञों के विचार जानने और उनसे रूबरू होने का मौका मिल रहा है। दिग्गज अदाकारा और भाजपा सांसद कंगना रणौत भी इस कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंची हैं। यहां उन्होंने कई दिलचस्प बातें साझा की हैं…
नकारात्मक और सकारात्मक दोनों तरह से। अब सेंसर बोर्ड में फिल्म फंस गई है। क्या कहेंगी ? सवाल:’आपातकाल’ लोकतंत्र के लिए काला अध्याय, जब उस पर फिल्म आ रही है तो उस पर सवाल होंगे। आपने इस विषय को चुना फिल्म बनाने के लिए, आज इस पर इतने विचार हैं।
कंगना रणौत ने इस दौरान उन्होंने अलग-अलग पहलुओं पर चर्चा की। आइए जानते हैं…
यह फिल्म हमारे संविधान से जुड़ी एक अदभुत घटना को हमारे पास लाता है। यह हमारा अधिकार है कि हम इस विषय पर बात करें। लेकिन, तीन-चार दिन पहले इस पर बैन लगा देना। कंगना: मुझे तो नहीं लग रहा कि किसी तरह की डिबेट और तर्क वितर्क हो रहे हैं। मुझे लग रहा है कि बंदूके तन रही हैं। सेंसर बोर्ड ने मेरी फिल्म क्लियर कर दी थी। जाहिर सी बात है इस फिल्म पर बैन लगा दिया है कि मैंने बहुत सारे ग्रुप्स से कहा है कि किसी को इस पर आपत्ति है तो हम अपना पक्ष रखेंगे। इसका आधार क्या है हम उपलब्ध कराएंगे। अगर आधारहीन लगा तो निकालेंगे। हमारे साथ कोई डिबेट नहीं हुई है। न ही कोई बात की गई है। मुझे लगता है कि इसका नाम अब इमरजेंसी से बदलकर नो वन किल्ड इंदिरा गांधी रखना चाहिए।
अमर उजाला के मंच पर कंगना रणौत, कहा- ‘मेरी आवाज दबाई जा रही है’
सवाल: मैं आपमें एक निराशा का भाव देख रही हूं?
कंगना: बिल्कुल मैं एक क्रिएटिव पर्सन मैं निराश हूं। मेरी आवाज दबाई जा रही है। सत्य घटना पर आधारित फिल्म को नहीं दिखाए जाने का मुझ पर दबाव डाला जा रहा है। इंदिरा गांधी का निधन बिजली कड़कने से नहीं हुआ था। उनके ऊपर पेड़ नहीं गिरा था।
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