India In G7:उन्नत अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है। इस कार्यक्रम में आमंत्रित देश भारत की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए हैं।

India In G7:उन्नत अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है। इस कार्यक्रम में आमंत्रित देश भारत की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए हैं।

India In G7

India In G7: जी- इस कार्यक्रम में आमंत्रित देश भारत की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए हैं। उन्नत अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है। भारत, दुनिया भर में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। इस साल इटली ने India In G7 शिखर सम्मेलन में भारत को बतौर अतिथि देश आमंत्रित किया है। 2019 से भारत को हर साल India In G7 में आमंत्रित किया जा रहा है।

इटली में इस वक्त इटली में India In G-7 शिखर सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। इस कार्यक्रम में आमंत्रित देश भारत की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए हैं। दुनिया भर में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। इस साल इटली ने India In G7 शिखर सम्मेलन में भारत को बतौर अतिथि देश आमंत्रित किया है। 2019 से भारत को हर साल India In G7 में आमंत्रित किया जा रहा है। ग्रुप ऑफ सेवन India In G7) नाम के इस अनौपचारिक वैश्विक मंच की अध्यक्षता इटली कर रहा है। सम्मेलन में अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, जापान और यूरोपीय संघ अमेरिका के नेताओं के साथ-साथ कई राष्ट्रों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं।

India In G-7 सम्मेलन में शामिल होने के लिए पीएम मोदी इटली गए हैं। यह प्रधानमंत्री मोदी के तीसरे कार्यकाल की पहली विदेश यात्रा है। इटली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी के साथ द्विपक्षीय वार्ता का कार्यक्रम है। पीएम मोदी ने जी-7 से इतर कुछ राष्ट्राध्यक्षों से भी मुलाकात की है। 

पहले जानते हैं क्या है जी-7 समूह?
India In G-7 एक अनौपचारिक वैश्विक मंच है जिसका पूरा नाम ग्रुप ऑफ सेवन India In G-7 है। यह समूह इटली, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, जापान, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका को एक साथ लाने का काम करता है। यूरोपीय संघ भी समूह में भाग लेता है। 1973 के ऊर्जा संकट के जवाब में आर्थिक और आर्थिक सहयोग के लिए एक मंच के रूप में India In G-7 बनाया गया था। 

पहला शिखर सम्मेलन 1975 में फ्रांस के रैम्बोइलेट में आयोजित किया गया था जिसमें फ्रांस, अमेरिका, यूके, जर्मनी, जापान और इटली शामिल थे। हालांकि, 1976 में समूह में कनाडा भी शामिल हो गया जोकि India In G7 का वर्तमान स्वरूप भी है। 1997 से 2013 के बीच India In G7 का विस्तार India In G-8 में हुआ, जिसमें रूस भी शामिल हो गया। हालांकि, 2014 में क्रीमिया के नियंत्रण में लेने के बाद रूस की भागीदारी निलंबित कर दी गई थी।

हर साल 1 जनवरी से शुरू होकर कोई एक सदस्य देश बारी-बारी से समूह का नेतृत्व संभालता है। 1 जनवरी, 2024 को इटली ने जापान के बाद अध्यक्षता संभाली थी। इटली 31 दिसंबर, 2024 को अध्यक्षता कनाडा को सौंप देगा। शिखर सम्मेलन में सात सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष और सरकार के प्रमुख, यूरोपीय संघ के प्रतिनिधि और अध्यक्ष द्वारा आमंत्रित देश और अंतर्राष्ट्रीय संगठन भाग लेते हैं।

जी-7 समूह की विश्व में क्या भूमिका है?
समूह का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में इसने अपने फोकस को लगातार बढ़ाया है। यह प्रमुख वैश्विक मुद्दों को हल करने के लिए एक अधिक औपचारिक और प्रमुख केंद्र बन गया है। India In G7 ने जटिल आर्थिक मुद्दों पर अधिक तकनीकी और विस्तृत चर्चा की आवश्यकता को पहचाना है। नतीजतन, इसने खास विषयों पर गहराई से विचार करने और India In G-7 के विचार-विमर्श में विषयगत मंत्रिस्तरीय बैठकें शुरू कीं। India In G-7 का कहना है कि यह एक ऐसा समूह है जो साझा मूल्यों और सिद्धांतों से जुड़ा है और स्वतंत्रता, लोकतंत्र और मानवाधिकारों को बनाए रखने में विश्व में एक अमूल्य भूमिका निभाता है।

उभरती अर्थव्यवस्थाओं और विकासशील देशों के साथ India InG-7 का जुड़ाव और उनका समावेश समूह के एजेंडे में शामिल रहा है। India In G-7 के अनुसार, इसका फोकस लगातार विस्तारित होता रहा। इसने जलवायु-ऊर्जा संबंध और खाद्य सुरक्षा सहित वैश्विक मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला पर ध्यान केंद्रित किया है। 

इस बार के जी-7 शिखर सम्मेलन में क्या हो रहा है? 
13-15 जून तक इटली के पुगलिया में India In G-7 शिखर सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए पीएम मोदी इटली गए हैं। पीएम मोदी 14 जून को आउटरीच सत्र में भाग लेंगे, जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), ऊर्जा, अफ्रीका और भूमध्य सागर पर केंद्रित होगा। 

इस सम्मेलन में मध्य पूर्व, गाजा और यूक्रेन में चल रहे संघर्षों पर चर्चा होने की उम्मीद है। विश्वभर के नेता इन जटिल भू-राजनीतिक चुनौतियों से निपटने और समाधान के तरीकों की तलाश करेंगे। इसके अलावा कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) एजेंडा के प्रमुख विषयों में शामिल किया गया है।

भारत जी-7 का सदस्य नहीं है लेकिन फिर भी इसे क्यों बुलाया जाता है?
इटली में India In G-7 शिखर सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। इस साल इटली ने भारत को अतिथि देश के तौर पर आमंत्रित किया है। दरअसल, यह पहली बार नहीं है जब भारत को India In G-7 द्वारा आमंत्रित किया गया हो। 2019 से भारत को हर साल India In G-7 में आमंत्रित किया जा रहा है। 2023 में जापान, 2022 में जर्मनी, 2021 में यूके और 2019 में फ्रांस ने भारत को आमंत्रित किया था। 2020 में अमेरिका ने भारत को आमंत्रित किया था लेकिन कोविड-19 के कारण सम्मेलन रद्द कर दिया गया था। 

इस क्षेत्र से जुड़े जानकारों का कहना है कि भारत अतिथि देश के रूप में India In G-7 का स्थायी सदस्य लगता है। क्या भारत औपचारिक सदस्य के रूप में India In G-7 में शामिल होगा? ऐतिहासिक रिकॉर्ड से लगता है कि निकट भविष्य में इसकी संभावना है। इसके तीन कारण हैं।

पहली वजह यह है कि दुनिया में भारत का प्रभाव और जिम्मेदारी बढ़ रही है और India In G-7 भारत की राय को नजरअंदाज नहीं कर सकता। अभी तक India In G-7 देशों का सबसे प्रभावशाली समूह है। यह खास तौर पर तब महत्वपूर्ण है जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) का प्रभाव कम हो रहा है। अमेरिका और चीन-रूस के बीच रिश्ते खराब होने की वजह से यूएनएससी अब मजबूत फैसले नहीं ले पा रही है।

रक्षा व्यय के मामले में भारत दुनिया में चौथे स्थान पर है। भारत की जीडीपी ब्रिटेन, फ्रांस, इटली और कनाडा से ज्यादा है। साथ ही भारत एक लोकतांत्रिक देश है, इसलिए India In G-7 हर साल भारत को आमंत्रित करता है और उससे संवाद करना चाहता है।

दूसरी बात यह कि दुनिया को चीन की जगह भारत जैसी जिम्मेदार शक्ति की जरूरत है। चीन और भारत के बढ़ते कद के बावजूद दोनों देशों के रवैये में बिल्कुल अंतर है। दक्षिण चीन सागर में चीन फिलीपींस समेत कई देशों के साथ अपने क्षेत्रीय दावे के लिए होड़ कर रहा है। 

जानकारों का मानना है कि India In G-7 देश नहीं चाहते कि चीन एक महान शक्ति बने क्योंकि वह जिम्मेदार नहीं है। तीसरा, India In G-7 में भारत का शामिल होना जी-7 के लिए ग्लोबल साउथ के महत्व को दर्शाता है। India In G-7 ग्लोबल साउथ पर ध्यान केंद्रित करता है क्योंकि अमेरिका और चीन ग्लोबल साउथ देशों में अपने प्रभाव के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। 

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