Bangladesh
Bangladesh: की सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहीं शेख़ हसीना के नाटकीय ढंग से इस्तीफ़ा देने के बाद सीधे इसी साल जून महीने में शेख़ हसीना दो सप्ताह के भीतर दो बार भारत दौरे पर आई थीं भारत आने से दोनों मुल्कों के संबंधों की गहराई भी सामने आई है.
बांग्लादेश में शेख़ हसीना ने 17 करोड़ की आबादी वाले देश को क़रीब 15 साल तक सरकार चलाई है.
हालांकि, सरकारी नौकरी में आरक्षण हटाने की मांग को लेकर विरोध कर रहे छात्रों का आंदोलन व्यापक और हिंसा में तब्दील होने के बाद शेख़ हसीना को पद और देश दोनों छोड़ने पड़े हैं.
अभी तक झड़प में कम से कम 280 लोगों की जान जा चुकी है. पुलिस और सरकार-विरोधी प्रदर्शनकारियों में हुई
पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल के शुरू होने के बाद शेख़ हसीना भारत का दौरा करने वाली पहली विदेशी नेता थीं.पहले वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथग्रहण समारोह में हिस्सा लेने आई थीं. इसके बाद शेख़ हसीना दो दिवसीय आधिकारिक दौरे पर भारत आईं.
क्योंकि हमारी सरकार के तीसरे कार्यकाल में शेख़ हसीना पहली मेहमान हैं.”इस दौरे के बाद संयुक्त प्रेस कॉन्फ़्रेंस में पीएम मोदी ने कहा था, “बीते एक साल में हम 10 बार मिले हैं. हालांकि, ये मुलाक़ात ख़ास है
इसी मैत्रीपूर्ण लहजे में शेख़ हसीना ने कहा, “भारत के साथ संबंध बांग्लादेश के लिए बेहद अहमियत रखते हैं. हमने क्या किया है और आगे क्या योजनाएं हैं ये देखने के लिए बांग्लादेश आइए.”
भारत और बांग्लादेश की ‘स्पेशल दोस्ती’
भारत का बांग्लादेश के साथ हमेशा से एक ख़ास नाता रहा है. दोनों पड़ोसी मुल्कों के बीच 4 हज़ार 96 किलोमीटर लंबी सीमा है. लेकिन दोनों के भाषाई, आर्थिक और सांस्कृतिक हित भी एक से हैं.
कभी पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाने वाला बांग्लादेश, साल 1971 में पाकिस्तान में हुई जंग के बाद एक अलग देश बना. इस जंग में बांग्लादेश को भारत का साथ मिला था.
दोनों देशों के बीच 16 अरब डॉलर यानी करीब 1342 अरब रुपये का कारोबार है. एशिया में भारत के सबसे अधिक आयात करने वालों में बांग्लादेश शीर्ष पर है.
मोदी सरकार की हिंदू राष्ट्रवादी राजनीति को लेकर असहजता भी समय-समय पर सामने आती रही है.चीन के साथ बांग्लादेश की क़रीबी ने कई बार उसके और भारत के बीच मतभेद पैदा किए हैं इसके अलावा सीमा सुरक्षा, पलायन जैसे मुद्दों पर अलग-अलग रुख़ और कुछ बांग्लादेशी अधिकारियों की भारत ने साथ दिया है
बांग्लादेश पर अब तक चुप क्यों भारत?
बांग्लादेश के हिंसक प्रदर्शनों को अभी तक भारत ने ‘घरेलू मामला’ बताया है.
लेकिन क्या भारत तेज़ी से बदलते घटनाक्रम के बीच कोई और बयान देगा या कोई क़दम उठाएगा?
अमेरिकी थिंक-टैंक विल्सन सेंटर के माइकल कुगलमैन का मानना है कि हसीना का इस्तीफ़ा देना और देश छोड़ना “भारत के लिए बहुत बड़े झटके जैसा है क्योंकि वह (भारत) लंबे समय से शेख़ हसीना या उनकी पार्टी के किसी भी विकल्प को भारतीय हितों के लिए ख़तरे के तौर पर देखता आया है.”
वह कहते हैं, “इसके अलावा भारत को बस अब इंतज़ार करना होगा और आगे की स्थिति पर नज़र रखनी होगी. हो सकता है कि वह स्थिरता के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी चुनावों को समर्थन दे लेकिन वह किसी भी सूरत में बीएनपी की सत्ता में वापसी नहीं चाहेगा. फिर वह पहले से कमज़ोर और बंटे हुए दल के तौर पर ही वापसी क्यों न करे. ये ऐसी वजह है, जिसके लिए भारत पड़ोसी देश में लंबे समय तक अंतरिम सरकार चलने का भी विरोध नहीं करेगा.”
शेख़ हसीना के अचानक हुए इस पतन ने उनके सहयोगियों को भी मुश्किल स्थिति में डाल दिया है.
बांग्लादेश के संस्थापक की बेटी शेख़ हसीना दुनिया में किसी भी देश के सर्वोच्च नेता के पद पर सबसे लंबे समय तक रहने वाली महिला भी हैं. शेख़ हसीना क़रीब 15 सालों तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रही हैं.
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