Air Pollution: वायु प्रदूषण एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बनता जा रहा है, जो हृदय और श्वसन तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। प्रदूषकों, जैसे कि पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5, PM10), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂), और सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂), का निरंतर संपर्क न केवल फेफड़ों और हृदय को कमजोर कर रहा है, बल्कि शरीर की जैविक घड़ी को भी प्रभावित कर रहा है, जो हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नियंत्रित करती है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि वायु प्रदूषण के प्रदूषक मनुष्य के जैविक घड़ी को गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं। ये प्रदूषक खून की नसों की परत को बदलकर हृदय रोगों को और बढ़ा देते हैं। वायु प्रदूषण के कारण हर साल लगभग 90 लाख अकाल मौतें होती हैं, जिनमें से आधी मौतें हृदय संबंधी बीमारियों के कारण होती हैं। इस स्थिति के गंभीर परिणाम हैं, क्योंकि हृदय रोगों की बढ़ती दर स्वास्थ्य संकट का संकेत है। जैविक घड़ी के असंतुलन से अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ भी उत्पन्न हो सकती हैं, जिससे समग्र स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
वायु प्रदूषण की वजह से हृदय संबंधी बीमारियों में भारी वृद्धि हो रही है। हवा, मिट्टी और पानी में मिले केमिकल अरबों लोगों के स्वास्थ्य को गंभीर खतरे में डाल रहे हैं। प्रदूषकों में भारी धातुएं और माइक्रोप्लास्टिक सूजन, ऑक्सीडेटिव तनाव और एंडोथेलियल डिसफंक्शन का कारण बन रहे हैं। ये तत्व खून की नसों और हृदय की आंतरिक दीवार के ऊतकों के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं। अनुमान के अनुसार, वायु प्रदूषण के कारण दिल की बीमारियों से हर साल 45 लाख लोगों की समय से पहले मौत हो रही है।
नेचर रिव्यू कार्डियोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन में हृदय रोग विशेषज्ञों ने प्रदूषण से संबंधित खतरों पर जोर दिया है, जिन्हें अक्सर कम करके आंका जाता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि ये प्रदूषक मनुष्य के जैविक घड़ी को प्रभावित करते हैं और खून की नसों की परत को बदल देते हैं, जिससे हृदय रोगों की गंभीरता बढ़ जाती है।
वायु प्रदूषण के कारण हर साल लगभग 90 लाख अकाल मौतें होती हैं, जिनमें से आधी हृदय संबंधी बीमारियों के कारण होती हैं। यह आंकड़ा दुनिया भर में होने वाली मौतों का 16 फीसदी है। सहारा की धूल जैसे वायुमंडल में मौजूद कण भी इसके लिए जिम्मेदार हैं, जो हृदय संबंधी बीमारियों से संबंधित 7,70,000 वार्षिक मौतों का कारण बनते हैं।
इसके अतिरिक्त, जल प्रदूषण दुनिया की आबादी के 25 फीसदी पर प्रभाव डालता है, जबकि मिट्टी के क्षरण के कारण दुनिया की 40 फीसदी आबादी के स्वास्थ्य को खतरा है।
- हृदय रोग विशेषज्ञों द्वारा खतरों का उल्लेख।
- जैविक घड़ी का प्रभावित होना।
- 90 लाख अकाल मौतें, 16 फीसदी हृदय संबंधी।
- सहारा की धूल और वायुमंडलीय कण।
- जल प्रदूषण का 25 फीसदी प्रभाव।
- मिट्टी के क्षरण से 40 फीसदी जनसंख्या प्रभावित।
शोधकर्ताओं ने 2015 से 2020 के बीच 318 चीनी शहरों में 2,239 अस्पतालों में दिल के दौरे और अस्थिर एनजाइना के इलाज के लिए आए लगभग 13 लाख लोगों के चिकित्सीय आंकड़ों का विश्लेषण किया। अध्ययन में यह पाया गया कि सूक्ष्म कण पदार्थ, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे प्रदूषकों के किसी भी स्तर के कम अवधि के खतरे से सभी प्रकार के तीव्र कोरोनरी सिंड्रोम की शुरुआत होती है।
जैसे-जैसे प्रदूषकों का स्तर बढ़ता गया, दिल के दौरे का खतरा भी बढ़ता गया। यह अध्ययन प्रदूषण के हृदय स्वास्थ्य पर प्रभाव को स्पष्ट करता है और यह दिखाता है कि प्रदूषण का स्तर हमारे हृदय रोगों के जोखिम को सीधे प्रभावित करता है।
- 13 लाख लोगों के आंकड़ों का विश्लेषण।
- 318 चीनी शहरों के 2,239 अस्पताल।
- दिल के दौरे और अस्थिर एनजाइना का इलाज।
- प्रदूषकों के स्तर और हृदय रोग का संबंध।
- तीव्र कोरोनरी सिंड्रोम की शुरुआत।
- प्रदूषण से दिल के दौरे का बढ़ता खतरा।
एक अन्य अध्ययन के अनुसार, विश्व स्वास्थ्य संगठन के वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देशों के अनुरूप नीचे के स्तर पर भी वायु प्रदूषकों के संपर्क में आने के एक घंटे के भीतर दिल का दौरा पड़ सकता है। यह खतरा ठंडे मौसम के दौरान वृद्ध लोगों में सबसे अधिक देखा गया है। चार सामान्य वायु प्रदूषकों के किसी भी स्तर के संपर्क में आने से तीव्र कोरोनरी सिंड्रोम (एसीएस) की शुरुआत जल्दी होती है।
एसीएस एक ऐसी स्थिति है जिसमें हृदय की मांसपेशियों में रक्त की आपूर्ति अवरुद्ध हो जाती है, जैसे कि दिल का दौरा या अस्थिर एनजाइना। यह स्थिति रक्त के थक्कों के कारण सीने में दर्द का कारण बनती है, जो अस्थायी रूप से धमनी को अवरुद्ध करता है। सबसे अधिक खतरा प्रदूषण के संपर्क में आने के पहले घंटे के भीतर होता है, और यह खतरा धीरे-धीरे समय के साथ कम होता जाता है।
पर्यावरणीय कारणों पर विचार की जरूरत
शोधकर्ता हृदय रोग की रोकथाम में इन पर्यावरणीय कारणों पर विचार करने की आवश्यकता पर जोर देते हैं। बेहतर वायु गुणवत्ता प्रबंधन,कीटनाशकों के उपयोग को कम करना और पानी को छानने से इन खतरों को कम किया जा सकता है। ये उपाय लंबे समय तक अपनाए जाने चाहिए। प्रदूषण को कम करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा करने के उद्देश्य से इन्हें दुनिया भर में लागू किया जाना चाहिए।
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