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चीन ने ताइवान के इर्द-गिर्द अपना दो दिन का सैन्य अभ्यास ज्वाइंट स्वोर्ड-2024 ए पूरा कर लिया है। इस दौरान चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने पहली बार ताइवान और उसके नियंत्रण वाले द्वीपों पर हमले का अभ्यास किया। इस अभ्यास में मुख्य रूप से चीन की वायुसेना और नौसेना ने हिस्सा लिया।
ताइवान ने इस अभ्यास को चीन की भीषण भड़कावे वाली कार्रवाई करार दिया है। चीन के सरकारी टेलीविजन के मिलिट्री चैनल ने बताया है कि सैन्य अभ्यास पूर्व नियोजित कार्यक्रम के अनुसार शुक्रवार को पूरा हो गया है। इस अभ्यास पर चीन के रक्षा मंत्रालय ने फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं की है। चीन लोकतांत्रिक ढंग से चुनी हुई सरकार के शासन वाले ताइवान को अपना हिस्सा बताता है तो ताइवान स्वयं को संप्रभु राष्ट्र बताता है।
लाइ चिंग ते के ताइवान के राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने के तीन दिन बाद पीएलए ने दो दिन का यह सैन्य अभ्यास किया है। चीन लाई को अलगाववादी बताता है। राष्ट्रपति बनने के बाद अपने पहले उद्बोधन में लाई ने चीन से ताइवान को धमकी देना बंद करने के लिए कहा था। कहा था- ताइवान लोकतांत्रिक देश है, चीन उसकी संप्रभुता को स्वीकार करे। ताजा सैन्य अभ्यास को चीन ने लाइ के इसी उद्बोधन का दंड बताया था।
ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि शुक्रवार को उसने एक समय में चीन के 62 लड़ाकू विमानों को आकाश में और 27 युद्धपोतों को समुद्र में हमले का अभ्यास करते हुए पाया। इनमें से 46 लड़ाकू विमानों ने ताइवान स्ट्रेट की मध्य रेखा को पार किया। ताइवान समुद्र के मध्य की इस रेखा को अपने और चीन के मध्य की सीमारेखा कहता है, जबकि चीन उसके इस दावे को नहीं मानता है। इस सैन्य अभ्यास में चीन ने सुखोई-30 लड़ाकू विमानों और परमाणु हमला करने में सक्षम एच-6 बमवर्षक विमानों का भी इस्तेमाल किया।
ताइवान के राष्ट्रपति कार्यालय ने शनिवार को कहा कि चीन की सैन्य गतिविधियां ताइवान स्ट्रेट की शांति और स्थिरता को नुकसान पहुंचा रही हैं। चीन की हरकतें माहौल खराब करने वाली और भड़काने वाली हैं, चीन इन्हें तत्काल बंद करे, जबकि ताइवान के रक्षा मंत्री वेलिंगटन कू ने कहा है कि धमकियों से डरने का सवाल ही पैदा नहीं होता, उनका देश अपनी मुकाबले की क्षमता का लगातार विकास करता रहेगा। उल्लेखनीय है कि चीन ताइवान को अपना हिस्सा बताते हुए बीते चार वर्षों में चार बार सैन्य अभ्यास कर चुका है।
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