पाकिस्तान और चीन से संभावित खतरों को देखते हुए भारतीय वायुसेना के पास फिलहाल 31 स्क्वाड्रन हैं, जबकि यह संख्या 42 होनी चाहिए। हर स्क्वॉड्रन में 16-18 विमान होते हैं। अगले दो साल में रूसी मिग-21 फाइटस जेट्स के दो स्क्वाड्रन रिटायर हो जाएंगे।
रक्षा मंत्रालय ने मार्च 2025 तक हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को 18 तेजस मार्क-1ए जेट की सप्लाई करने के लिए कहा है। एचएएल को अगले 10 सालों में दो चरणों में 180 तेजस मार्क-1ए का निर्माण करना है, ताकि भारतीय वायुसेना ने पुराने पड़ चुके फाइटस जेट्स को चरणबद्ध तरीके से हटा कर बेड़े में हो रही जेट्स की कमी को पूरा किया जा सके। तेजस अगले 10 सालों में मिग 21, जगुआर, मिग-29 और मिराज 2000 जेट की जगह लेगा। एचएएल को अभी तक तेजस के 48,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर जारी हो चुके हैं। इनमें पहला ऑर्डर फरवरी 2021 को 83 तेजस की सप्लाई का दिया गया था, जिनमें से अभी तक एक भी जेट की डिलीवरी नहीं हुई है, जबकि अनुबंध पर हस्ताक्षर होने के तीन साल बाद या इस साल मार्च तक डिलीवरी शुरू होनी थी। वहीं, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने कहा है कि वह भारतीय वायुसेना को उसके पहले तेजस एमके-1ए फाइटर जेट की डिलीवरी जुलाई में दे देगा।
हर साल 16 एयरक्राफ्ट बनाएगा एचएएलइस साल अप्रैल में, भारतीय वायुसेना ने एचएएल को 83 तेजस के अलावा 97 अतिरिक्त तेजस मार्क-1ए जेट के निर्माण के लिए अपनी व्यवसायिक बोली जमा करने के लिए कहा था, जिसके बाद यह संख्या 180 हो गई है। टेंडर जारी होने के दिन से लेकर एचएएल के पास रक्षा मंत्रालय को जवाब देने के लिए तीन महीने का वक्त है। सूत्रों का कहना है कि नए तेजस की मांग पूरी करने के लिए एचएएल नवंबर तक नासिक में नई प्रोडक्शन लाइन बनाने जा रहा है, जिसके बाद एचएएल की निर्माण क्षमता सालाना 8 एयरक्राफ्ट से 16 एयरक्राफ्ट हो जाएगी। वहीं, एचएएल साल 2025 तक हर साल 24 एयरक्राफ्ट बनाना शुरू कर देगा। हल्के लड़ाकू विमान (LCA) तेजस एमके1ए सीरीज के पहले विमान ने इसी साल 28 मार्च को बंगलुरू के आसमान में 18 मिनट की अपनी पहली सफल उड़ान भरी थी।
अगले 14 से 15 सालों में 390 लड़ाकू जेट की जरूरतपाकिस्तान और चीन से संभावित खतरों को देखते हुए भारतीय वायुसेना के पास फिलहाल 31 स्क्वाड्रन हैं, जबकि यह संख्या 42 होनी चाहिए। हर स्क्वॉड्रन में 16-18 विमान होते हैं। अगले दो साल में रूसी मिग-21 फाइटस जेट्स के दो स्क्वाड्रन रिटायर हो जाएंगे। वहीं, 1980 के दशक में शामिल किए गए जगुआर, मिग-29 और मिराज 2000 जैसे लड़ाकू जहाज भी साल 2029-30 तक रिटायर हो जाएंगे। मिग-21, जगुआर, मिग-29 और मिराज 2000 की संख्या लगभग 250 है, और भारतीय वायुसेना इनकी उम्र बढ़ाने के लिए समय-समय अपग्रेड करती रही है, जो काफी खर्चिला साबित होता है। सूत्रों के मुताबिक भारतीय वायु सेना को अगले 14 से 15 सालों में 390 लड़ाकू जेट की आवश्यकता होगी। भारतीय वायुसेना के पास पहले से ही 40 तेजस मार्क1 फाइटर जेट हैं, जो वायुसेना की नंबर 45 स्क्वाड्रन ‘द फ्लाइंग डैगर्स’ और नंबर 18 स्क्वाड्रन ‘द फ्लाइंग बुलेट्स’ का हिस्सा हैं। वहीं तेजस मार्क-1ए इसका एडवांस वर्जन है।
तेजस प्रोग्राम से जुड़े एक सूत्र ने तेजस मार्क-1ए के बारे में अमर उजाला को बताया कि समय के साथ टेक्नोलॉजी में बदलाव हो रहा है और इसे लगातार शामिल करने की जरूरत है। भारतीय वायु सेना चाहती थी कि तेजस में नए सिस्टम्स को शामिल किया जाए, ताकि यह अगले तीन दशकों तक सेवा में रह सके। तेजस मार्क-1 और मार्क-1ए दिखने में तो एक जैसे हैं। मार्क-1ए वर्जन में नया इलेक्ट्रॉनिक्स, प्रोसेसर, डिस्प्ले सिस्टम और फ्लाई-बाय-वायर फ्लाइट कंट्रोल कंप्यूटर सिस्टम के हार्डवेयर को शामिल किया गया है। साथ ही, इसमें नया एईएसए (एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैंड एरे) रडार है, हवा से जमीन पर, हवा से हवा वाला सिस्टम, सेल्फ प्रोटेक्शन जैमर्स, और नया स्वदेशी मिशन कंप्यूटर शामिल किया गया है। मिलेगा स्वदेशी उत्तम रडारसूत्र ने बताया कि नए वर्जन में पुराने अपने मार्क-1 की तुलना में लगभग 50 फीसदी से ज्यादा स्वदेशी टेक्नोलॉजी इस्तेमाल की गई है। मार्क-1ए में पहले वर्जन की तुलना में 40 से अधिक बदलाव देखने को मिलेंगे। तेजस एमके1ए में एडवांस इस्राइली ईएल/एम-2025 एईएसए रडार को उत्तम एईएसए रडार से रिप्लेस किया जाएगा, जिसे भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और एचएएल ने तैयार किया है। उत्तम रडार की खूबी है कि यह कई टारगेट्स को ट्रैक कर सकता है और अपने आसपास का 360 डिग्री व्यू देगा, जिसका इस्तेमाल तेजस एमके2 और ट्विन इंजन डेक-बेस्ड फाइटर्स (टीईडीबीएफ) में किया जाएगा। इसके अलावा नए वर्जन में बड़ी कैनोपी मिलेगी। नए जेट के एरोडायनेमिक्स में कुछ बदलाव किए गए हैं, जिससे इसकी रफ्तार में बढ़ोतरी होगी। सेल्फ-प्रोटेक्शन जैमर से जाम होंगे दुश्मन के रडारमार्क-1ए में बियॉन्ड विजुअल रेंज (बीवीआर) मिसाइलें, हवा से हवा/जमीन पर मार करने वाली मिसाइलें और एडवांस्ड शॉर्ट रेंज एयर-टू-एयर मिसाइलों (ASRAAM) जैसे तमाम तरह के हथियारों को ले जाने के लिए लगभग नौ हार्ड पॉइंट होंगे। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर के लिए इसमें सेल्फ-प्रोटेक्शन जैमर पॉड्स लगाए गए हैं, दुश्मन के रडार और मिसाइल सिस्टम को जाम करके बेहतर सुरक्षा प्रदान करते हैं। 4.5 पीढ़ी के तेजस को जमीनी हमलों, इंटरसेप्शन, हवा से हवा में लड़ाई और एयर डिफेंस जैसी कई भूमिकाओं के लिए उपयोग किया जा सकता है। वायु सेना की योजना है कि नए तेजस मार्क-1ए को पाकिस्तान सीमा के पास राजस्थान के बीकानेर जिले में नाल एयर बेस पर तैनात किया जाए।
एक साक्षात्कार में एचएएल के चीफ मैनेजिंग डायरेक्टर सीबी अनंतकृष्णन ने कहा था कि पांच-छह देशों ने हल्के लड़ाकू विमान तेजस को खरीदने में रुचि दिखाई है। अर्जेंटीना के साथ इस पर अभी भी बातचीत चल रही है। फिलीपींस के साथ बातचीत अंतिम चरणों में है। वहीं मिस्र के साथ भी हम चर्चा कर रहे हैं और नाइजीरिया के साथ बातचीत सकारात्मक दौर में है।
+ There are no comments
Add yours