DRDO: ये टेस्ट ऐसे वक्त में किए जा रहे हैं जब हाल ही में भारत ने देश की दूसरी परमाणु ऊर्जा से चलने वाली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (SSBN) INS अरिघात राष्ट्र को समर्पित की है, जिसमें 3500 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली चार K4 मिसाइलें लगी हैं।
जल्द ही डीआरडीओ देश की रक्षा क्षमता बढ़ाने के लिए नई पीढ़ी की मिसाइलों के टेस्ट की तैयारी कर रहा है। ये टेस्ट ऐसे वक्त में किए जा रहे हैं जब हाल ही में भारत ने देश की दूसरी परमाणु ऊर्जा से चलने वाली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (SSBN) INS अरिघात राष्ट्र को समर्पित की है, जिसमें 3500 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली चार K4 मिसाइलें लगी हैं। जिसके बाद भारत न्यूक्लियर ट्रायड वाले देशों में शुमार हो गया है, जिनके पास ज़मीन, हवा और पानी से परमाणु क्षमता वाली बैलेस्टिक मिसाइल दागने की क्षमता है।इस मिसाइल प्रोग्राम को आगे बढ़ाने के लिए कमर कस रहा है, जिसके तहत उसने अगले महीने बड़े स्तर पर मिसाइल परीक्षण कार्यक्रम तैयार किया है। इस दौरान पारंपरिक और स्ट्रेटेजिक मिसाइलों का परीक्षण किया जाएगा। इन परीक्षणों से देश की रक्षा क्षमताओं में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी।
ये परीक्षण न केवल मौजूदा मिसाइल सिस्टम के अहम पड़ाव साबित होंगे बल्कि नई पीढ़ी की मिसाइलों की भी नींव रखेंगे। यह पहल डिफ़ेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता हासिल करने की भारत की प्रतिबद्धता को जताता है। हाल ही में बदली भू-राजनीतिक पारिस्थितियों के चलते ये परीक्षण आवश्यक हो गये हैं सूत्रों ने इन मिसाइलों के नामों का तो खुलासा नहीं किया, लेकिन इतना जरूर बताया कि ये सभी स्ट्रैटेजिक मिसाइलें हैं, जिनका खुलासा वक़्त आने पर ही किया जाएगा। हमारे पास ये मिसाइलें परीक्षण के लिए तैयार हैं। यह परीक्षण कार्यक्रम भारत की प्रतिरोध क्षमताओं को और मजबूत करेगा।बता दें कि हाल ही में भारत ने दूसरी परमाणु पनडुब्बी, INS अरिघात को भारतीय नौसेना में शामिल किया हैं, जो 750 किलोमीटर की रेंज वाली के-15 और 3500 किमी की रेंज में मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइलें लगी हुई हैं। इन मिसाइलों को शामिल करने से भारत के परमाणु ट्रायड में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है, जो ज़मीन, हवा और पानी पर अपनी रणनीतिक ताकतों को मजबूत करती है। डीआरडीओ अब ज़मीन और समुद्री रक्षा में उभरती चुनौतियों का सामना करने के लिए नई पीढ़ी की मिसाइलों के विकास पर फोकस कर रहा है।
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